जनवरी २०१७ में भारत के राष्ट्रपति ने कोहली जी को पद्मश्री से सम्मानित किया।
वसुदेव उपन्यास का एक अंश: 'कृष्ण आ गया है' 'वसुदेव' उपन्यास यहाँ उपलब्ध है । देवकी चौंक कर उठ बैठीं। वसुदेव अपनी नींद पूरी कर चुके थे, किंतु अभी लेटे ही हुए थे। उन्हें देवकी का इस प्रकार चिहुँक कर उठ बैठना कुछ विचित्र-सा लगा। ''क्या हुआ?'' ''कृष्ण कहाँ गया?'' वसुदेव ने अपनी आँखें पूरी तरह विस्फारित कीं, ''कृष्ण? कृष्ण हमारे पास था ही कब?'' ''वह यहीं तो था मेरे पास...।'' और वे रुक गईं, ''तो मैंने स्वप्न देखा था क्या?'' ''क्या देखा था?'' वसुदेव ने पूछा। ''पर नहीं! वह सपना नहीं हो सकता।'' देवकी ने कहा, ''वह यहीं था, मेरे पास। मेरी नासिका में अभी तक उसकी वैजयंती माला के पुष्पों की गंध है। मेरे कानों में उसकी बाँसुरी के स्वर हैं। उसने छुआ भी था मुझे!...'' ''तो तुम्हारा कृष्ण वंशी बजाता है?'' वसुदेव हँस पड़े, ''तुम्हें किसने बताया कि वह वंशी बजाता है? यादवों का राजकुमार वंशी बजाता है। वह ग्वाला है या चरवाहा कि वंशी बजाता
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